इधर पाकिस्तान ने पीएम मोदी को दिया SCO सम्मेलन का न्योता, उधर विदेश मंत्री जयशंकर ने रिश्तों पर लगा दी फाइनल रिपोर्ट
15-16 अक्टूबर को पाकिस्तान करेगा SCO सम्मेलन
पाकिस्तान आगामी 15 और 16 अक्टूबर 2024 को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन का आयोजन इस्लामाबाद में करने जा रहा है। इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए पाकिस्तान ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आमंत्रित किया है। हालांकि, इस न्योते के बीच भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों की स्थिति में कोई बदलाव होता नजर नहीं आ रहा है।
15-16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होगी एससीओ की बैठक
पाकिस्तान 15-16 अक्टूबर 2024 को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के शासनाध्यक्षों की बैठक की मेजबानी करने जा रहा है। इस बैठक से पहले कई महत्वपूर्ण मंत्र स्तरीय और वरिष्ठ अधिकारियों की बैठकें होंगी, जो सदस्य देशों के बीच वित्तीय, आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक, और मानवीय सहयोग पर केंद्रित होंगी। एससीओ की यह बैठक क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर गहन चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच होगी।
पाकिस्तान में होने वाली बैठक की प्रमुख बातें:
- तारीख और स्थान: एससीओ की शासनाध्यक्षों की बैठक इस्लामाबाद, पाकिस्तान में 15-16 अक्टूबर 2024 को आयोजित होगी।
- मुद्दे: बैठक में वित्तीय, आर्थिक, सामाजिक-सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग पर चर्चा होगी। एससीओ सदस्य देश इन मुद्दों पर आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए विचार-विमर्श करेंगे।
- पूर्व की बैठकें: बैठक से पहले मंत्र स्तरीय और वरिष्ठ अधिकारियों की कई दौर की बैठकें होंगी, जिनमें इस्लामाबाद के लिए एजेंडा तैयार किया जाएगा।
भारत का प्रतिनिधित्व: मंत्र स्तरीय प्रतिनिधिमंडल
भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक में शामिल नहीं हो सकते हैं, बल्कि एक मंत्र स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को इस्लामाबाद भेजे जाने की उम्मीद है। यह भारत का एससीओ सीएचजी बैठकों में मंत्रियों द्वारा प्रतिनिधित्व करने का पारंपरिक तरीका है। इससे पहले, 3-4 जुलाई 2024 को कजाकिस्तान में आयोजित SCO के राष्ट्राध्यक्षों के 24वें वार्षिक शिखर सम्मेलन में भी पीएम मोदी ने शिरकत नहीं की थी, और विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अस्ताना में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
भारत और एससीओ: एक कूटनीतिक दृष्टिकोण
भारत की SCO में सक्रिय भागीदारी वैश्विक और क्षेत्रीय स्थिरता को बनाए रखने में उसकी भूमिका को दर्शाती है। पाकिस्तान में आयोजित इस बैठक में भारत का मंत्र स्तरीय प्रतिनिधिमंडल न केवल भारत के हितों की रक्षा करेगा, बल्कि दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के साथ संबंधों को भी मजबूत करेगा।
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विदेश मंत्री एस. जयशंकर का पाकिस्तान को सख्त संदेश
वहीं, दूसरी तरफ भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने पाकिस्तान को लेकर कड़ा संदेश दिया है। राजधानी दिल्ली में एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान विदेश मंत्री ने साफ कहा कि पाकिस्तान से बातचीत का समय समाप्त हो चुका है। उन्होंने जोर देकर कहा कि जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के बाद अब इस मुद्दे पर किसी भी प्रकार की वार्ता की आवश्यकता नहीं है। उनका कहना है कि अब हमें पाकिस्तान के साथ किसी नए रिश्ते पर विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
भारत की ज़ीरो टॉलरेंस नीति
एस. जयशंकर ने आगे कहा कि भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति हमेशा से ही ज़ीरो टॉलरेंस की रही है। उन्होंने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया कि जब तक वह आतंकवाद का समर्थन करना बंद नहीं करता, तब तक किसी भी तरह की बातचीत का सवाल ही पैदा नहीं होता। इससे पहले भी मई में सीआईआई की एक बैठक में विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को यह साफ कर दिया था कि उसे पहले अपनी छवि में सुधार करना होगा।
बांग्लादेश पर भी नजर
पाकिस्तान के साथ रिश्तों पर अपने विचार व्यक्त करने के साथ ही विदेश मंत्री जयशंकर ने बांग्लादेश को लेकर भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है और हमें वहां की मौजूदा सरकार से निपटने के लिए तैयार रहना होगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि भारत इस बदलते परिदृश्य में भी बांग्लादेश के साथ परस्पर संबंध बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
निष्कर्ष: भारत की दृढ़ता और स्पष्टता
भारत-पाकिस्तान रिश्तों को लेकर एस. जयशंकर का रुख हमेशा से स्पष्ट रहा है। उन्होंने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि भारत आतंकवाद को बर्दाश्त नहीं करेगा और पाकिस्तान को अपने रवैये में बदलाव लाना होगा। भारत की विदेश नीति में ज़ीरो टॉलरेंस का यह दृष्टिकोण न सिर्फ पाकिस्तान के लिए, बल्कि दुनिया के अन्य देशों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश है।
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